इस देहाती कस्बे के देहाती झाेंपडे में बड़े बड़े नाम वर उलेमा-ए-दीन मिल्ली रहनुमा, गर्वनर बिहार, चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिंया और दीगर दानिशवरान-ए-मिल्लत के कदम भी पहुँच चुके हैं।
नोट : जगह की कमी की वजह से कुछ ही लोगाें के मुशहिदात व तास्सुरात दिये जा रहे हैं।
जनाब मौलाना सैयद निजामुद्दीन साहब
अमीर-ए-शरीअत अमारत शरिया बिहार झारखण्ड और ओडिशा (ओड़िसा)
व जेनरल सेक्रकेटरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
(Janab Maulana Syed Nezamuddin Sb.)
"यतीमखाना का कयाम और यतीम बच्चों और बच्चियाें की कफालत मुसलमानों की खास रिवायत रही है और दीनी ऐतेबार से भी कार ए सवाब है। यह बड़ी खुशी की बात है कि यहाँ मुस्लिम यतीम बच्चियाें के लिए यतीमखाना का इफतेताह किया जा रहा है। बिला शुबह ये अहम दीनी काम और मिल्ली ज़रूरत है। दिली दुआ है कि अल्लाह तआला इस कोशिश को कामयाब फरमाये।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारिख-21 दिसम्बर 1986)
जनाब प्रोफेसर अब्दुल मुग़नी साहब रह0
(साबिक़ वाइस चांसेलर मिथिला यूनिवर्सिटी) दरभंगा (बिहार) अलहिंद
(Janab Professor Abdul Mughni Sb. V.C.)
"मुस्लिम बच्चियाें के यतीम खाने का इफ्तेताही इजलास पुरअसर और उम्मीद अफजा़ है। यह वक्त की एक अहम ज़रूरत की तकमील है और इस से दुनिया की सुर्ख रूई के साथ आखरत की सर बुलंदी भी वाबिस्ता है। इसके क़याम ओ तरक़्क़ी के लिए हर क़िस्म की खिदमात अंजाम देना एक कार ए सवाब है।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारिख-21 दिसम्बर 1986)
मोहतरमा शहनाज बेगम साहिबा दरभंगा (बिहार) अल हिन्द
(Mrs. Shahnaz Begum Sahiba, Darbhanga,Bihar.)
यह यतीमखाना "मुस्लिम लड़कियाें के फलाह व बहबूद के लिए एक बहुत बड़ी देन है। मैं उम्मीद करती हूँ कि इंतिजामिया पुर असर ढंग से पूरे जोश व खरोश से काम करना जारी रखे गी और मुस्लिम लड़कियों के इस स्कूल और यतीमखाना के बुलंद मक़ासिद व मंसूबो के हुसूल में मुसलमान पूरे दिल से तआवुन देंगे।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारिख-20 दिसम्बर 1987)
जनाब मुहम्मद फारूक़ खान साहब दिल्ली मुतरज्जिम कुरान हिन्दी व उर्दू
(Janab Mohammad Farooque Khan Sb. Delhi.)
"आज मुझे मुस्लिम लड़कियाें का यतीमखाना गया" के देखने का शर्फ हासिल हुआ इसे देख कर जो क़लबी व रूहानी मुसर्रत हुई अल्फाज़ में उसका इज़हार मुमकिन नहीं। इसमें शुबह नहीं कि कौम की बच्चियाँ क़ौम का एक ऐसा कीमती सरमाया हैं जिस से सर्फे नजर करना ना क़ाबिल ए माफी जुर्म है। खुशी की बात है कि इस का बखूबी अहसास इस यतीम खाना के आला जिम्मेदार के दिल में मौजूद है।
इस यतीमखाना में बच्च्यिाें की तालीम व तरबीयत के लिए मुनासिब नज्म ज़िम्मेदारों के पेशे नजर है। अदब और दीन की तालीम के साथ साथ शोबा दार उस सनाए भी कायम है जहाँ बच्च्यिों को उनके मुनासिब हाल सनअत व हिरफत (फन्नी तालीम) की तालीम भी दी जा सकेगी। मुतालआ के लिए लाइब्रेरी मौजूद है।
अभी तो यह यतीम खाना अपने इब्तदाइ मरहले में है। फिर भी इस के माकूल और मिसाली नज़्म व ज़ब्त को देखकर हैरत भी हुई और इंतहाइ खुशी भी। इस यतीम खाना के जिम्मेदारों के लिए दिल से दुआएँ निकलीं।
अल्लाह तआला की जात से मुझे उम्मीद है कि यह अदारह तरक्की करेगा। और यहाँ से जो बच्चियाँ निकलें गी वह जे़वर-ए- इल्म व अदब से आरासता और बुलंद हौसला होंगीे जिन पर कौम को नाज़ और फख्र हो सकेगा।
तवक्क़अ है कि क़ौम इस अदारह को नजर अंदाज़ नही करे गी। कौम का भरपूर तआवुन इसे हासिल होगा। अहले इल्म हजरात अपने नेक मशविरों से भी नवाजें गे।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारिख-02 जनवरी 1988)
जनाब मौलाना मुजिबुल्लाह नदवी साहब रह0
नाज़िम जामिया तुर रिशाद आज़मगढ़ (यू0पी0) अलहिन्द
( Janab Maulana Mojeebullah Nadvi sb.)
( एडीटर माहनामा जामिया तुर रिशाद व मेम्बर ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड :)
"आज बच्चियाें का यतीम खाना कोलौना चेरकी" देखने का इतेफाक हुआ। यह अदारह इनायत खान मरहूम के 1938 ई0 में देखे हुए ख्वाब के नतीजे में वजूद में आया। बहमदुलिल्लाह जो मदरसा (3) बच्च्यिाें से शुरू हुआ था। आज सैकड़ाें (100) बच्चियों को तालीम दे रहा है और (50) से जा़एद बच्चियाँ दारूल अक़ामा में रहती है। मदरसा में, खुशी हुई कि वहाँ हर चीज में सलीकामंदी नज़र आई। सांइस का सामान मौजूद नज़र आया। बच्चियाें को सिलाई वगै़रह सिखाने की मशीनें भी नज़र आईं। हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि इस को मज़ीद तरक़्क़ी अता फरमाए। यहाँ लड़कियो की तालीम हाई स्कूल के मेयार तक होती है। निसाब-ए -तालीम को देखने का इतेफाक नहीं हुआ मगर उम्मीद है कि इस में शुरू से आखिर तक दीनियात की तालीम का लेहाज किया गया होगा। खास तौर पर बच्च्यिों को कुरान पाक नाजरह की अच्छी तालीम देना बहुत जरूरी है ताकि आइंदा वह अपने बच्चों को इब्तदा से कुरान पाक सही तौर पर पढ़ा सकें।
(माखूज़ क़दीम रज़िस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब इब्राहिम सुलेमान सेठ साहब रह0 (मदरास) अलहिन्द
(Janab Ibrahim Sulaiman Seth Saheb.)
(सबिक़ सदर ऑल इण्डिया यूनियन मुस्लिम लीग व एम0 पी0)
"अल्लाह रब्बलु इज्जत का लाख-लाख शुक्र है कि आज मुझे कोलौना में मुस्लिम लड़कियों के यतीमखाना में हाजिर होने की सआदत हासिल हुई। इस लड़कियाें के यतीमखाना का क़याम वक़्त की सबसे बड़ी जरूरत है और लड़काें के यतीमखाना (चेरकी) के बानी इनायत खान रह0 के ख्वाबाें की ताबीर है। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इस को कायम करने वालों और मुंतज़मीन को जज़ाए खैर दे और और उनके मिल्ली खिदमात को शर्फे कबूलियत बर्ख्शे और लड़कियों के इस यतीम खाना को दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की अता फरमाए।
मै इस यतीम खाना के इंतजाम और तालीम व तरबीयत के अहतमाम से बेहद मुतास्सिर हुआ। साफ और सुलझे हुए माहौल में नौजवान लड़कियों के जहन को इस्लामी बनाने की जद्दोजहद मुबारक व काबिले तहसीन है। इनकी दीनी व दुनयावी तालीम का बन्दोबस्त काबिले तकलीद है। ऐसे ही रफाही अदारह की हर मुसलमान और साहिबे खैर हजरात को भरपूर मदद करनी चाहिए ताकि मुसलमान इस मुल्क में आबरूमन्दाना ज़िन्दगी बसर करने का माहौल बना सकें।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारीख -08 अकटुबर 1992)
जनाब मौलाना अब्दुस समी जाफरी साहब
अमीर अमारत अहले हदीस सादिकपुर, (पटना), बिहार
(Janab Maulana Abdus Sami Jafferi Sb.)
(सरपरस्त व सेक्रेटरी, जामिया इस्लाहिया सलफिया - पटना (बिहार) अलहिन्द)
"आज बतारीख 19 रबी-उल-आखिर 1413 हिजरी ब मुताबिक 17अक्टूबर 1992 ई0 बरोज़ दो शम्बा "मुस्लिम लड़कियों के यतीमखाना गया" वाकेअ कोलौना के मुशाहादा और मुआयना की सआदत नसीब हुई।
हकीक़त यह है कि कहने वालों का कौल बेसाख्ता याद आया कि "शुनीदा के बोद मानिन्द दीदह" अदारह मज़कूर को दिल की आँखो से देखा, समझा और महसूस किया। माशाअल्लाह तबारक अल्लाह बानी ए यतीम खाना इस्लामिया गया चेरकी के देखे गये ख्वाब का जीता जागता चलता फिरता नौ खैज़ नौ उमर इस मिसाली मुस्लिम लड़कियों के यतीमखाना गया वाकेअ कोलौना की शक्ल में (कम अज़ कम सूबा बिहार की सतह) पर अपनी नोवियत के एतिबार से मुनफरिद हैसियत के हामिल अदारह को देख कर बानी ए यतीम खाना के लिए दिल की गहराइयों और कल्ब की पनहाइयाें से दुआए निकलीं और निकलती रहें गी। दुआ है कि,, आसमाँ उन की लहद पर शबनम अफशनी करे ,, रब्बे करीम बानी मरहूम की रूह को तस्कीन बख्शे करवट करवट जन्नत नसीब करे उनकी कब्र को ता हद्दे निगाह कुशादह और जन्नत की रोशनी से मनव्वर कर दे। उन्हे जन्नत के लिबास पहना दे उनकी कब्र में जन्नत के र्फश बिछा दे उनकी कब्र जन्न्त की खुशबूओ से भर दे, रोजे महशर अपने अर्श का साया नसीब करे अपने हबीब सल्लल्लाहो अलैहै व सल्लम की सिफारिश और (शफाअत) मय्यसर फरमाये और सल्लल्लाहो अलैहै व सल्लम के दस्ते मुबारक से हौजे कौसर के शरबत पीने का शर्फ अता करे आमीन सुम्मा आमीन।
इसमे कोई शक नही कि इस अदारह और इसमें पढ़ने वाली यतीम दुख्तराने हव्वा (अलैहिस्सलाम), इसकी हर एक शै,, इसमे रखे हुए रसाएल तालीमया अल्गरज हर शै और हर चीज़ को इंतहाई सलीका और पुर वकार अंदाज में देख कर मारे खुशी के फरते जज़्बात से आँखें अश्क बार हो गईं। बिला शुबह यह बात कही जा सकती है कि मुस्लिम यतीम और गैर यतीम बच्चों की दीनी तालीम व तरबीयत और इसी तरह उलूम असरिया के सीखने सिखाने पढ़ने पढ़ाने के लिए बिला इख्तलाफे मसलक काफी तादाद में खुसूसन बिहार की सतह पर मौजूद थे लेकिन मूस्लिम बच्चियों खुसूसन यतीम बच्चियों के लिए मेरेे नाकिस इल्म व मुतालआ की हद तक कोई अदारह मअरज वजूद में इस से कबल तक न आ सका था।
दुआ है कि रब्बे करीम बानी-ए-यतीम खाना और उनके पसमांदगान पर अपनी रहमतों की बारिश नाजिल फरमाए। मुतंजमीन यतीमखाना की हर गाम पर रहनुमाई फरमाए। बानी ए यतीम खाना के ख्वाब को पूरे तौर पर शर्मिंदा ए ताबीर कर दे नीज इस मुबारक काम की राह में जो रूकावटें सामने आएँ। उन्हें दूर कर दे। जो मुशकिलात हों उन्हे आसान कर दे जंगल में मंगल के मिसदाक इस शजर को तरक्की और इरतक़ा के बामे उरूज पर पहुँचाए साथ ही दूसरे इलाका के लोगों को इस नकशे कदम पर चलने की तौफीक़ व हिम्मत और अज़्म व हौसला अता करे।
"बातें बनाना काम में कीड़े निकालना, बेजा तनकीद और बेमानी तबसिरा करना तो कोई मुशकिल काम नहीं, लेकिन अमली मैदान में आ कर अपने खूने जिगर से किसी अदारह की आबयारी करना और इस राह में ज़ज़्ब व जुनूँ की हद तक दीवाना वार कूद कर अपने राहत व आराम को फरामोश कर के तनमन धन से लग जाना यह हर एक के बस की बात नहीं और ब अल्फाजे दीगर।
उलूल अजमाने दानिशमंद जब करने पे आते हैं।
समंदर पाटते है कोह से दरिया बहाते हैं।
ये रूतबा बुलंद मिला जिस को मिल गया।
हर मुद्दअी के वास्ते दार ओ रसन कहाँ
इस बात को इस कौल को इस जर्रीं उसूल को अगर अमली तौर पर किसी को देखने की तमन्ना और आरज़ू हो तो उसे चाहिए कि कम अज कम एक मरतवा,, यतीमखाना इस्लामिया गया चेरकी और 'मुस्लिम लड़कियो का यतीमखाना गया" वाकेअ कोलौना को एक मरतबा देखने की ज़रूर कोशिश करे।
दुआ है कि रब्बे करीम जाते क़दीर तमाम साबिक और मौजूदा मुंतजिमीन की हर क़िस्म की काविशाें को कुबूल फरमाए इसका नेक सिला इन मजकूरा लोगों नीज़ उनके मुतालिकीन को दोनो जहान में भरपूर अता फरमाए तरक्की की राह में जो रूकावटें दर पेश हों, उनका अजालह फरमाए। जो मुशकिलात हों, उनको आसान कर दे नीज़ चमनिस्तान की हर कली को अपने वक्त का गुले कामिल बना कर उस की इतरबेज खुशबू से मुअत्तर फरमा दे, हर ज़र्रा को अपने वक़्त का आफताबे आलम ताब बना कर चमकाए"।
ईँ दुआ अजमन व अज जुमला जहान आमीन बाद।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब डा0 अखलाक़-उर-रहमान किदवाई साहब
(Janab Dr A.R. Kidwai, Sb. Governor)
(गर्वनर हरियाणा व साबिक, गर्वनर, बिहार बंगाल व चांसलर, अलीगढ़ मुस्लिम युनिर्वसिटी, (अलीगढ़) इंडिया
"लड़कियो के इस यतीम खाने को देख कर मुझे बहुत खुशी हुई कि मुंतजमीन इसको बहुत खुश असलोबी,, मेहनत और कोशिशों से चला रहे हैं। अच्छी तालीम व तरबीयत का इंतजाम है। मेरी दुआ है कि इस अदारह के मुंतजमीन असातजह और तालिबात अपने मकासिद में कामयाब हों और आला मदारिज हासिल करें।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात तारिख -08 अक्टुबर 1992)
जनाब डाक्टर एम0 हैदर खान साहब
(Janab Dr.M. Haider Khan Sb. : Hyderabad)
(कनवेनर सेन्ट्रल इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (जद्दा), हैदराबाद (आँध्र प्रदेश) अलहिन्द)
"आज हमने इस मदरसा का मुआइना किया मदरसा में लड़कियों का तालीमी मजाहरा देख कर हम इतनें मुतास्सिर हुए हैं कि इन तास्सुरात को हम अपने साथ हर मुकाम पर लेते जाएँगे। मासूम बच्च्यिों की जिस खुलूस व मुहब्बत के साथ तालीम व तरबीयत की जा रही है। एक मिसाल है। बच्चियों ने जिस डिसिपलीन का मुजाहरा किया इस बात को साबित करता है कि इंतजामिया इस सिलसिले में अपनी मिसाल आप रखता है। अल्लाह पाक मुंतजमीन के इस खुलूस और मेहनत को कुबूल फरमाए और यहाँ से लड़कियाँ फारिग हो कर आइंदा नस्लो की रहनुमा और बेहतर माएँ बनें जिस की आज शदीद ज़रूरत है।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब मौलाना ज़िया उद्दीन इसलाही साहब
( Janab Maulana Ziauddin Islahi, Sb. Azamgharh)
(एडीटर माहनामा "मआरिफ" दारूलमुसन्निफीन, शिबली एकेडमी, आजमगढ, (यू0 पी0) अलहिन्द
"हुस्न इत्तेफाक से आज पहली बार "मुस्लिम लड़कियों के यतीमखाना गया" वाकेअ कोलौना गया में आना हुआ। इस की इमारत को देखा और बच्चियों की तकरीर को सुना।देख कर और सुन कर बड़ी खुशी हुई। यह एक मुबारक और अच्छा काम हो रहा
है। यतीम बच्चियाें की तालीम व तरबीयत का बड़ा अज्र व सवाब है। अल्लाह तआला से दुआ है कि वह इस अदारह को मजीद तरक़्क़ी दे ताकि मुस्लिम यतीम बच्चियों को इस से मज़ीद फैज़ पहुँच सके।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब सैयद हामिद साहब चांसलर हमर्दद युनिवर्सिटी दिल्ली
(व साबिक वाइस चांसलर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (अलीगढ़) अलहिन्द।)
(Syed Hamid Sb. Chancellor Hamdard university, Delhi)
"आज शाम "मुस्लिम लड़कियो के यतीमखाना गया में हाजिरी का इतफाक़ हुआ। यतीमखाना के हुस्न इंतज़ाम और इस की इमारत में हालिया तौसीअ से खुशी हुई। यह अदारह एक बड़ी खिदमत अंजाम दे रहा है।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब मौलाना सैयद मो0 राबेअ हसनी नदवी साहब
सदर ऑल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व नाज़िम दारूल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ (यू0, पी0,) अल हिन्द
(Janab Maulana Syed Md. Rabey Hasni Nadvi Sb.)
"आज मोरखा 16 दिसमबर 2003 ई0, जनाब इकबाल अहमद खान साहब के जेरे-निगरानी "लड़कियाें के यतीमखाना कोलौना" में हाजिरी हुई, और उनकी कोशिशों की और जजबा व लगन की क़दर आई। ये तौफीक़ की बात है जो अल्लाह ने उनको अता की है शहर से दूर इलाके में जिस सलीके मंदी और इहतिमाम से वह ये काम अंजाम दे रहे हैं वह मुतास्सिर करने वाला है यह फिकर उन्हे अपने दादा जनाब इनायत खाँ साहब से मिली। अल्लाह तआला उनकी मगफिरत फरमाए और दरजात बुलंद करे और इस अदारह के जिम्मेदारों और कारकुनो को बेहतर जज़ा अता करे"!
नोट : जनाब मौलाना सैयद मो0 राबेअ हसनी नदवी साहब के साथ और दूसरे उलेमा,मसलन जनाब सैयद वाजे़ह रशीद नदवी साहब एडीटर अलराएद (अरबी मुजल्ला) नदवतुल उलेमा लखनऊ (यू0, पी0,) अलहिन्द वग़ैरह भी थे।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
जनाब ए0 एम0 अहमदी साहब साबिक़ चीफ जिस्टस सुप्रिम कोर्ट ऑफ इण्डिया व चांसलर अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी अलीगढ़ (यू0 पी0) अलहिन्द
(Janab A.M. Ahmadi Sb, Ex-Chief Justice Supereme Court Of India)
"लड़कियो के इस यतीमखाना में आ कर मुझे बहुत खुशी हुई। बिला शुबह एक छोटा आग़ाज़ लेकिन इस उम्मीद के साथ कि यह वक्त के साथ फरोग पाये गा। नौ जवान लड़कियाें के जरिया पेश किये गये प्रोग्राम से मै बहुत मुतास्सिर हुआ, मै उन्हे र्गम जोशी से इस्तक़बाल करने के लिए शुक्रिया अदा करता हूँ"।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)
मुहतरमा उज़मा नाहीद साहिबा चेयर पर्सन इकरा एजुकेशन फाउण्डेशन (मुम्बई) व मेम्बर ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
(Mrs. Uzma Nahid, Saheba. Member All India Muslim Personal Law Board)
"आज मैं "मुस्लिम लड़कियों के यतीमखाना में, हाजिर हुई,और देख कर बेइंतहा खुशी हुई कि इंतजामिया किस मेहनत और ताअल्लुक के साथ इस की तरवीज व तरक्की में मुनहमिक है। तालिबात की तक़ारीर नज़्में व हम्द सुनने के बाद एहसास हुआ कि इनकी ज़बान दुरूस्त करने में बड़ी मेहनत की गई है इसी तरह कुरान सुनने के बाद इनकी तजवीद व लेहन पर मेहनत होने का यक़ीन हुआ। ख्याल है कि इनशाअल्लाह ये बच्चियाँ अपनी जिन्दगी में ना सिर्फ बेहतरीन शख्सियत बनकर उभरेंगी बल्कि बेहतरीन मुआशरे की मेअमार भी बनेंगी"।
मेरी दरख्वास्त है कि हमारे लायक इस सिलसिले में जो काम हो सके उसके लिए याद फरमाइयेगा।
(माखूज : कदीम रजिस्टर मुशाहिदात व तास्सुरात)