ख़िदमात व ज़रूरियात और अपील
(Services, Needs & Appeal)

यतीम बच्चियों की परवरिश व परदाख्त और ग़ैर यतीम मुक़ीम और ग़ैर मुक़ीम तालिबात को भी ज़ेवरे तालीम से आरास्ता करना और मास्टर प्लान (Master Plan) के तहत फौ़री तोर पर शानदार तीन मंजिला इमारत की तामीर और ज़मीन की खरीदारी के लिए तक़रीबन एक करोड़ (One Crore) रूपये की अशद ज़रूरत है। (सालाना खर्च छोड़ कर)। एक कमरे की तामीर पर तक़रीबन दो लाख पचास हजार (2,50,000) रूपये खर्च होते हैं। याद रखें आप ही सभों के माली तआउन से ये सारे फलाही काम चल रहे हैं। लेहाजा अल्लाह के नाम पर खर्च करने वाले, देने वाले लोगों से जिन को अल्लाह तआला ने दौलत से नवाजा हैं। वह अपने वालदैन और रिश्तादारों के नाम सदक़ा ज़ारिया की ख़ातिर कमरे बनवायें, इसका बड़ा अज़रो सवाब है। इस का अजर इंशाल्लाह अल्लाह के यहाँ बे हिसाब मिले गा और सिर्फ देने वाले ही को मिलेगा। आप आने वाली और हमेशा रहने वाली ज़िन्दगी का बीमा (Life Insurance) जल्द से जल्द अल्लाह के यहाँ रजिस्टर में करा लें।


कुरान शरीफ में है कि "जो लोग अपना माल खुदा की राह में ख़र्च करते हैं उन के (माल) की मिसाल उस दाने की सी है जिस से सात 7 बालें उगें हर एक बाल में सौ सौ दाने हों और खुदा जिस के माल को चाहता है ज़्यादा करता है वह बड़ी कशाएश वाला है (अलबकरा 261) "अल्लाह की राह में खर्च करने में सात सौ (700) गुना अज्र है सवाब है"।


याद रखें  कारे खैर में इन्सान की अहलियत नहीं देखी जाती। मुसलमानों के असहाबे खै़र और अहले सरवत हज़रात से अदारह के कद्रदानों और मुहसिनों से ख़्वाह वह दुनिया के किसी गोशा और मुल्क के किसी भी खित्ता या इलाकाें के हों उन से अपील है कि किसी भी खुशी मसलन शादी ब्याह, खतना अकीकाह वगैरह में जो साहब गैर शरअी तरीका पर रकमें खर्च किया करते हैं और पानी की तरह रकमें बहाया करते है सिर्फ नमूदो नुमाअश के लिए और बड़ापन के इज़हार के लिए जहालत की रस्मों को ज़िन्दा करने के लिए उन से और रमज़ानुल मुबारक के बा बारकत मौके पर या और किसी मौके पर जो ◉ ज़कात, ◉ सदक़ात, ◉ ख़ैरात ◉ अतियात वगैरह दिया करते है, कहना है कि वह अदारह की उन नन्ही मुन्नी मासूम यतीम बच्च्यिों को जो हालात की सताई हुई हैं और अचानक आसमान से नही टपक गई हैं बल्कि हादसाती मौत या कुदरती मौत में उनके वालिद अल्लाह को प्यारे हो गए ओर वह यतीम हो गई हैं उन्हे तालीमी तोर पर ऊचाँ उठाने के लिए माली तआवुन करना हरगिज ना भूलें अपने रिश्तेदारों ओर दोस्तों कों भी तवज़्ज़ह दिलाएँ बड़ा अज़्र व सवाब है। आम मुसलमानों के चन्दा के अलावा इसका कोई दूसरा ज़रिया-ए-आमदनी नहीं है।


नोट  संगमरमर के पत्थर का कुतबा: जो भी शख्स कमरा या हॉल तामीर कराएँगे उन के नाम का कुतबा एक संगमरमर के पत्थर पर लिख कर दिवार में लगा दिया जाए गा ताकि दूसरों को देख कर नेक काम करने का जज़्बा पैदा हो।


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