अदारह के स्कूल के तालीमी मराहिल
(Educational Milestones)

तरीका ए तालीम (Mode Of Education)
तालिबात को तालीम देते वक्त इस बात का ख्याल रखा जाता है कि तालिबात को इस तरह तरबियत दी जाए कि उनके दिल में अपने मजहब से मुहब्बत फरोग पाए और साथ ही मुल्क की अच्छी शहरी बन सकें।
1. मरहला अव्वल (Stage-I)
(परिचय मरहला नर्सरी 3 साल) नर्सरी (दर्जा अतफाल),दर्जा अतफाले अव्वल और अतफाल दोम की बुनियादी तालीम तीन साल की होती है। इन दरजात में इस्लमियात, जेनरल साइंस (जुबानी) उर्दू,अंग्रेजी, आर्टस (Arts) व ड्राइंग और हिसाब (गिनती और पहाड़ा ) पढ़ाऐ जाते हैं।
2. मरहला दोम (Stage-II)
(इब्तदाई मरहला -पाँच साल) इस मरहले में दर्जा अववल (I) से दर्जा पंजुम (V) तक तालीम दी जाती है इन दर्जात में तालिबात, नाजरह कुरान, इस्लामियात उर्दू हिन्दी अंग्रेजी, ड्राइंग और हिसाब वगैरह की तालीम हासिल करती हैं।
3. मरहला सोम (Stage-III)
(मरहला सानवी-3 साल) इस मरहले में दर्जा शशुम (VI) से दर्जा हश्तुम (VIII) तक की तालिबात को तालीम दी जाती है। इन दर्जात में फिकह इस्लामी, अरबी, फारसी, ड्राइंग, के अलावा (बिहार स्कूल एकजामिनेशन, बोर्ड) के निसाब की किताबें भी पढाई जाती है।
4. मरहला चहारूम(Stage-IV)
(मरहला आला 2 साल) :- इस मरहला के तहत, दर्जा नहुम (IX) से दहुम (X) तक (2) साल की तालीम है फिकह इस्लामी और अरबी के अलावा बिहार स्कूल एकज़ामिनेशन बोर्ड के निसाब का कोर्स सी0 बी0 एस0 ई 0 के तर्ज पर पढ़ाया जाता है
नोट (Note) ज़रिया-ए-तालीम उर्दू है। हमारे निसाब (तरिक़ा-ए-तालीम) के मुताबिक तालिबात आम मुज़ामीन जेनरल मुज़ामीन बश्मोल होम सांइस (उमोरे खानादारी) कटाई व सिलाई कढाई और पेन्टिंग वग़ैरह की अमली जानकारी हासिल कर लेती हैं। अंग्रेजी (English) और कम्प्यूटर (Computer) की तालीम को भी ख़ास अहमियत दी जाती है।
याद रखें यहाँ पाचँ जबानों की भी तालीम दी जाती है ◉ मसलन ◉ अरबी ◉ उर्दू ◉ अंग्रेजी ◉ फारसी ◉ हिन्दी,।


5. शोबा हिफ़्ज़-ओ-तजवीद (हिफ़्ज़ कुरान - 6 साल)
(Qur’an Memorization)

  • हिफ़्ज़-ए-कुरान के साथ-साथ जदीद तालीम भी दी जाती है और हिफ्ज के साथ-साथ मैट्रिक (Matric) तक की तालीम दी जाती है।
  • अदारह में सानवी तालीम (Secondary Education) और हिफ़्ज़ कुरान ( साथ-साथ चलते हैं ) की तालीम एक साथ दी जाती है।
  • हाफिज़ा लडकियों को भी उमूर-ए-खानादारी की तालीम के साथ-साथ कटाई व सिलाई और ज़री वर्क्स वग़ैरह भी सिखाया जाता है।
  • दूसरी तालिबात भी जदीद तालीम हासिल करने के साथ साथ कुरान हिफ्ज कर रही हैं।
    याद रखें ज़हीन और पढ़ने की ख़्वाहिश मन्द होने के बावजूद बहुत सारी यतीम बच्च्यिों को अनपढ़ रह जाना पडता है। अगर उनकी मदद की जाए तो वह एक अच्छी हाफिजा कुरान बनाई जा सकती है। मैट्रिक के साथ उन्हे हाफ्जिा बनाने के लिए 6 साल का अरसा दरकार होता है उनके अख़राजात की तफसील हस्बे जे़ल है।
    (A) माहाना खर्च (तआम व कयाम वगैरह) तकरीबन 5,000/- रूपये।
    (B) एक साल का सालाना खर्च (मअ तआम व कयाम वगैरह) कफाला स्कीम के तहत-25,000/- रूपये।
    (C) मुकम्मल कोर्स का ख़र्च (6 साल) 1,50,000/- रूपये।
    नोट इस्लामियात (इस्लामीक स्टडी) को दूसरे मुजामीन पर तरजीह दी जाती है और साथ साथ दूसरे मुज़ामीन पर भी खास तवज्जह दी जाती है। निसाबे तालीम इस्लामी अख़लाक ओ किरदार पर मबनी है।

6. अल्लामा सैयद सुलेमान नदवी कम्प्यूटर टैªनिंग सेन्टर
(Allama Syed Sulaiman Nadvi Computer Training Centre)

कम्प्यूटर की तालीम देने के लिए और जदीद खबर रसानी के वसाएल के इस्तेमाल के लिए कम्प्यूटर हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा है। यह हमारी रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में एक अहम किरदार अदा करता है।

7. हज़रत खदीज़ा तुल कुबरा वोकेशनल सेन्टर
(Hazrat Khadija-Tul-Kubra Vocational Centre)

नन इजिनियरिंग ट्रेड (Non Engineering Trade) जिस को इंजिनियरिंग से कोई वास्ता नहीं है। इस सेन्टर में क्लास के अलावा कटाई व सिलाई और जरी वर्क्स की तालीम अगस्त 2003 से बाजाबता तरीका से (एच0 आर 0 डी0) के निसाब के मुताबिक तालीम दी और सिखाई जा रही है।

  1. H R D के मुताबिक कटाई व सिलाई के कोर्स का वक़्फा एक साल है।
  2. HRD के मुताबिक ज़री वर्क्स के कोर्स का वक़्फा 45 दिन (डेढ़ माह) है।
  3. पेन्टिंग 90 दिन (3 माह) (Painting 90 Days) (iv) मेंहदी 30 दिन (1 माह) (Mehndi 30 days.)

8. शोबा-ए-तालीम-ए-बालिग़ान (Department of Adult Education ) (3years) यह 20 जून 2002 ई0 में कायम किया गया। अदारह के एक उस्ताद की नौजवान शादी शुदा बीवी ने इस कोर्स में अपना दाखिला लिया था और होस्टल के तालिबा की तरह बोर्डिंग में रह कर अपनी तालीम मुकम्मल की थी। दूसरी मुखतलिफ नाख़्वान्दा लड़कियाँ और औरतो ने भी इसमे तालीम के लिए दाख़िला लिया है। तालीम ए बालिग़ान के प्रोग्राम का वक़्फा 3 साल है।
कोर्स (Course) ◉ कुरान (नाज़रा) ◉ उर्दू, ◉ हिन्दी, ◉ अंग्रेजी, ◉ इस्लामियात, ◉ हिसाब और वोकेशनल ट्रेनिंग।
नोट वह नौजवान लड़कियाँ और औरतें जो नख्वानदा हैं और अपना दाखिला शोबा-ए-तालीम-ए बालिग़ान में लेना चाहती हैं, अदारह के दफतर से राब्ता कायम कर सकती हैं।



रहाईशगाह
(Halls of Residence (Boarding /Hostel)

तालिबात को रहाईशी हॉल के किसी एक हॅाल में रहना होता है उन्हें अदारह के उसूल ओ ज़वाबित पर अमल करना पड़ता है।
तलिबात को बोर्डिंगं हाउस के मुखतलिफ हॉल में उनकी उमर और क्लास के मुताबिक रखा जाता है। फिलहाल तकरीबन, (130) तालिबात होस्टल में रहती हैं। स्कूल और बोर्डिंग (होस्टल) दोनाें एक ही अहाते (Campus) में हैं। यतीम और गैर यतीम बच्चियाँ एक साथ रहती हैं और एक साथ खाना खाती हैं जो मसावात का मिसाली और आला नमूना है। ताकि यतीम बच्च्यिों को अपने वालिदेन की कमी और गुरबत वगैरह का अहसास न हो और वह एहसासे कमतरी में मुबतला न हों।

6 रहाईशी हॉल हैं जो मुन्दरजा जेल हैं

  1. हज़रत खनसा हॉल (Hazrat Khansa Hall)
  2. ज़ैनब उल गज़ाली मिसरी हॉल (Zainab-ul-ghazali Misri Hall)
  3. सैयद अहमद शहीद व शाह इस्माईल शहीद हॉल (Syed Ahmed Shaheed & Shaah Ismail Shaheed Hall)
  4. हसन उल बन्ना शहीद व सैयद कुतुब शहीद हॉल (Hasan-ul-Banna Shaheed / Syed Qutub Shaheed Hall)
  5. अल्लामा इब्न तैमिया हॉल (Allama Ibn Taemia Hall)
  6. हजरत नसीबा बिन्त कआब, (उम्म अम्मारह रज0) हॉल (Hazrat Nasiba Bint Ka’ab ( Umm, Ammarah Hall)

याद रखें हज़रत नसीबा बिन्त कआब, (उम्म अम्मारह रज0) हॉल का इस्तेमाल नमाज के लिए (नमाज का हॉल) और जलसा (कानफैरेंस हॉल) सकाफती प्रोग्राम, क्लास, रीडिगं रूम (दारूल-मुतालआ) वगैरह के तौर पर किया जाता हैं।
नोट अदारह में पार्क भी है। जो अल्लामा हमीद उद्दीन फराही पार्क के नाम से जाना जाता है जो बोर्डिंग के अन्दर है।



तालीम गाह और अक़ामत गाह
(Schools And Residence)

जहाँ तालीम गाह है वहीं अकामत गाह भी है। इस लिए बच्चियों को कहीं आना जाना नही पड़ता है। यहाँ की इमारत पुख्ता नही बल्कि तालीम पुख्ता और ठोस है। यतीम और ग़ैर यतीम तालिबात का खाना एक साथ बनता है और रहना भी एक साथ ही होता है जो कि मसावात का मिसाली और आला नमूना है। यतीम तालिबा का पूरा खर्च अदारह बर्दाशत करता है। बैरूनी तालिबात का उन के सरपरस्त साहबान। अदारह का अपना स्कूल (1)हजरत आइशा सिद्दिका़ (रज0) उर्दू नर्सरी स्कूल जो हज़रत आइशा सिद्दिक़ा (रज0) के नाम पर दूसरा (2)हज़रत फातिमा-तुज़-ज़हरा उर्दू गर्ल्स मिडिल स्कूल जो हज़रत फातिमा (रज0) के नाम पर है और तीसरा (03) जी0एम0जी0ओ0 उर्दू हाई स्कूल (Gaya Muslim Girls’Orphanage Urdu High School) जो अदारह के नाम पर है।

सअी इंसाँ अगर मुसलसल हो
अज़्म के सामने हमाला क्या

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