मुस्लिम लड़कियों का यातीमखाना गया एक नज़र में

मुस्लिम लड़कियों का यातीमखाना गया का मुख्तसर तआरूफ

लड़कियों के लिए जदीद और मुकम्मल इस्लामी तर्ज तालीम से सु़स़ज्जित
क़ौमी सतह का मेयारी रेहाएशी(Residential) अदारह।


तारीख-ए-क़याम 21 दिस्मबर 1986 ई0 मुताबिक़ 18 रबी-उल-अव्वल (1407) हिजरी

किफियत-ए-क़याम तीन (3) यतीम लड़कियों' एक मुअल्लिम और एक मुअल्लिमा से एक किराया के खपरैल मकान में क़याम अमल में आया था जो कभी साँप, बिच्छु,जानवर और चिड़ियाें का बसेरा था। बक़ौल अल्लामा इक़बाल -

इश्क ने आबाद कर डालें हैं दश्त-ओ-कोहसार

  • हिन्दुस्तान की रियासत बिहार झारखण्ड, बंगाल, ओडिशा (उड़ीसा),में अपने तर्ज़ की पहली और वाहिद अक़ामती (Residential) दीनी और असरी उलोम की मशहूर तालीम गाह जो इस्लामी और आधुनिक शिक्षा का संगम होने की वजह से मशहूर है।
  • अदारह 21 दिसम्बर 1986 ई0 से ही सही इस्लामी रूप रेखा पर यतीम के साथ साथ गरीब और गैर यतीम तालिबात की तालीमी खिदमात अंजाम दे रहा है।
  • यहाँ की तालिबात को मैट्रिक (Matric) पास करने के बाद कॉलेज के अलावा अरबी-यूनिर्वसिटी में आलमियत के साल अव्वल व दोम में बा आसानी दाखिला मिल जाता है।
  • शोबा-ए-हिफ़्ज़ की तालिबा को हिफ़्ज के साथ साथ मैट्रिक (Matric) तक की तालीम दी जाती है।

तालीमी साल (Educational Session) अप्रैल ता मार्च (April to March)

तालीमी मराहिल नर्सरी (दर्जा अतफाल, दर्जा अतफाल अव्वल, दर्जा अतफाल दोम) (Nursery, KGI, KGII) ◉ इब्तदाई दर्जा अव्वल ता पंजुम (I) to (V) ◉ सानवी दर्जा शशुम ता हशतुम (VI) to (VIII) ◉ आला (दर्जा नहुम ता दर्जा दहुम (IX) to (X) हाई स्कूल मअ साइंसी तजुरबह गाह (साइंस लेबोरेटरी) ◉ फासलाती तालीम (आई-ए,-बी-ए,-एम-ए -और लाइब्रेरी साइंस) ◉ शोबा-ए-हिफ़्ज़-ओ-तजवीद (हिफ़्ज़ के साथ-साथ मैट्रिक)। ◉ वोकेशनल तालीम: दो (2) वोकेशनल सेन्टर

तादाद यतीम तालिबात 90

बाहरी तालिबात अपने खर्च पर दारूल - अकामा (Boarding)! में रह कर तालीम हासिल करने वाली और दूसरे गाँव से पढ़ कर जाने वाली एलावा हैं।

तादाद असातजह व मुअल्लिमात व दीगर मुलाज़मीन तकरीबन 30

सालाना खर्च (Annual Expenditure) चालीस लाख (Rs.40,00,000/-) रूपये से अधिक। (तामीरी खर्च छोड़कर)

ज़रिया-ए-आमदनी (Sources Of Income) मुस्लिम अवाम के चन्दे।

इत्तलाअ-ए-आम यहाँ कोई भी मुहस्सिल कमीशन (उजरत) पर चन्दा वसूल नहीं किया करता।

यतीम तालिबात का खर्च यतीम तालिबात का सारा खर्च पैर के नाखुन से ले कर सिर के बाल तक या कहिये एड़ी से ले कर चोटी तक अदारह पूरा किया करता है।

याद रखें अदारह का कोई मुस्तक़िल आमदनी का जरिया नहीं है। आप की तरफ से ज़कात और पैदावार की ज़कात (उशर ) वगैरह की जो रकमें मिला करती हैं,, वह सिर्फ यतीम बच्चियाें पर ही खर्च की जाती है। अतियात और दूसरे मद की रकमों से हम प्राईमरी,मिडिल और हाई स्कूल वग़ैरह चलाते हैं।

नोट जिस मद की रक़म होती है और आप की जो हिदायत हुआ करती है। उसी तरीक़ा पर रक़म खर्च की जाती है।



अदारा आप के फराख दिलाना और मुखलिसाना माली तआवुन का मुंतजिर है !

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