ख़बर नामा
(News Bulletin) Khabrein

तालीम-ए-बालिग़ान (Adult Education) (3 साल):- यह 20 जून 2002 ई0 को क़ायम किया गया। अदारह के एक नौजवान उस्ताद की नौजवान शादी शुदा औरत ने इस कोर्स में अपना दाखिला लिया था और होस्टल के तालिबा की तरह बोर्डिंग में रह कर अपनी तालीम मुकम्मल की थी। मुखतलिफ दूसरी नख्वान्दा लड़कियाँ और औरतें भी इसमे तालीम के लिए दाखिला लेती हैं। तालीम-ए-बालिगान प्रोग्राम की मुद्दत -ए-तालीम 3 साल है। (Three Years Course)
नोट :
वह नौजवान लड़कियाँ और औरतें जो नख्वानदा हैं और अपना दाखिला शोबा-ए-तालीम-ए-बालिग़ान में लेना चाहती हैं, अदारह के दफतर से राब्ता क़ायम कर सकती हैं।

शोबा -ए- हिफ़्ज़ -ओ-तजवीद (Department Of Qur’an Memorization) (हिफ़्ज़-ए-कुरान 6 साल):- दर्जा हशतुम (VIII) से दहुम (X) तक 12 लड़कियाँ जदीद तालीम हासिल करते हुए कुरान पाक की हाफिजा हो चुकी हैं। दुसरी लड़कियाँ भी जदीद तालीम हासिल करने के साथ-साथ कुरान हिफ़्ज़ कर रही है। हिफ़्ज़ कुरान -6 साल (Six Years Course) हिफ़्ज़ के साथ साथ मैट्रिक।

बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड (Bihar School Examination Board, Patna):- बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड के इम्तहान में यतीम बच्चियों का रिज़ल्ट सदफीसद होता है।
नोट : मैट्रिक तक की तालीम का आग़ाज 1992 ई0 में हुआ। 1993 ई0 से 2024 तक 117 यतीम लड़कियाँ और 90, ग़ैर यतीम लड़कियाँ कुल टोटल (207) लड़कियाँ बिहार स्कूल एक्जामिनेशन बोर्ड का इम्तहान पास कर चुकी हैैं। एक यतीम बच्ची ने बेगम तारा रशीद शेरवानी एवार्ड भी हासिल क्यिा था।

हज़रत खदिजा-तुल-कुबरा वोकेशनल सेन्टर (Hazrat Khadija-Tul-kubra Vocational Centre) :- यतीम और गैर यतीम बच्च्यिो के,, 11 बैच ने कटाई व सिलाई का कोर्स मुकम्मल क्यिा है और सरकारी सनद भी हासिल कर चुकी है अब पेन्टिंग, मेहन्दी, और फूल पत्ती भी मशीन से सिखाने का कोर्स शुरू हो गया है बाहर की लड़कियाँ भी सीखने के लिए आती हैं।
नोट :
11 बैच में कटाई व सिलाई (103) लड़कियाँ और जरी वर्कस 7 बैच में (78) लडकियाँ कामयाब हो चुकी हैं और सरकारी सनद हासिल कर चुकी हैं। (मेहंदी, फूल पत्ती मशीन से, और मशीन से स्वेटर बुनने का काम भी सिखाया जाता है)।

अल्लामा सैय्यद सुलैमान नदवी कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेन्टर (Allama Syed Sulaiman Nadvi Computer Training Centre):- इस में कम्प्यूटर की तालीम दी जाती है।

बच्चियों कि अपनी दुकान (Children's Own Shop):- अदारा के अंदर बच्चियों कि अपनी दुकान भी है जहाँ से बच्चियाँ अपनी ज़रूरत का सामान मसलन टाफियाँ, मिक्सचर, तेल, साबुन, शेम्पु और दीगर जरूरी अशिया खरीदा करती है। बच्चियों का अपना बैंक (Children’s Own Bank) :- ये बच्च्यिों का अपना बैंक है जहाँ बच्च्यिाँ अपने खर्च के लिए जो रकम घर से लाती हैं बैंक में जमा करती हैं और निकाला करती है अभी इसकी शुरूआत हुई है (बिलकुल इब्तादाई मरहला में है)!

बैतुल माल बराए तालीम (Bait-ul-Mal For Education):-गै़र यतीम बच्चियाें के लिए एक तालीमी फंड कायम किया गया है जिस के जरिये गरीब बच्चियाें को बुनियादी तालीम मुहैया कराई जाती है। ये फंड असातजह, मुअल्लेमा, और अदारह के दूसरे तालिबात की अतियात से चलाया जाता है।

कफाला स्कीम (Kafala Scheme (Sponsorship):- क़फाला स्कीम के तहत एक यतीम बच्ची की तालीम व तरबियत और खुर्द -आ- नोश पर सालाना पच्चीस हजार (Rs.25,000) रू0 का खर्च आता है आप भी एक यतीम बच्ची की कफालत का बार उठा कर कारे खैर में शरीक हाें।

माली तआवुन की ज़रूरत है।
(Financial Co-Operation Is Required)

हमें आपके खास तआवुन की जरूरत है। हर साल यतीम बच्चियाें की एक अच्छी तादाद को माली वसाएल की कमी की वजह से मायूस लौटाना पड़ता है, जिस का बहुत अफसोस है। लड़कियाँ तेजी से बढ़ती हैं और दाखिला नहीं मिलने पर वह तालीम से भी महरूम रह जाती हैं। हमें इस सिलसिले में आपके खुसूसी तआवुन की जरूरत है। मिल्लत को मुस्लिम लड़कियों का यतीम खाना गया,, जैसे दीनी व असरी उलूम के अदारे की कितनी ज़रूरत है वह मुहताज-ए-तआरूफ नहीं। यह दिल की गहराइयों से महसूस किया जा सकता है।



जलसा यौम-ए-तासीस (Foundation Day):- हर साल 21 दिसम्बर को मूस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया में बड़े ही धूम धाम से जलसा यौम-ए-तासीस मनाया जाता है। 21 दिसम्बर को ही 1986 ई0 में मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया क़ायम किया गया था। जलसा यौम-ए-तासीस हर साल दो मरहलो में मनाया जाता है। तक़रीब का पहला इजलास जलसा सीरतुन नबी (Jalsa Seerat-Un-Nabi) के लिए वक़्फ होता है और दूसरे इजलास में जलसा यौम-ए-तासीस (Foundation Day) मनाया जाता है जिस में मुल्क के मुखतलिफ नामवर उलेमा-ए-दीन और दानिश वरान-ए-मिल्लत रियासती या मरकज़ी सरकारी उहदे दारान, जिला इंतिजामिया और मशहूर समाजी शख्शियताें को मदअु किया जाता है।

तालीमी हफता (Educational Week):- हर साल तालीमी हफता मनाया जाता है। यह एक खास हफता होता है जिस में इस्लामी क्वीज व खेलाें का मुकांबला, मजमून नवीसी का मुक़ाबला, इमला का मुकाबला, आम मालूमात का सवाल व जवाब, सकाफती प्रोग्राम, मुक़ाबला बैतबाजी (बच्चि़यो की शाएरी का मुकाबला) ड्रामे का इन्अक़ाद वगैरह होते हैं और बच्चियाें को मुअजज़्ज़ शख्शियतों के हाथों इनाम से नवाज़ा जाता है।

फौरी (अचानक) प्रोगाम (Informal Programme):- कभी कभी किसी मुजि़ज़ज़ शख्स की अचानक आमद पर अदारह में फौरी तौर पे प्रोग्राम का इन अक़ाद किया जाता है। इस तरह के प्रोग्राम में बच्चियाँ पहले अपना प्रोग्राम पेश करती हैं और उसके बाद अदारह में आने वाले मुजि़्ज़ज़ शख्स उन्हे खिताब करते हैं।

मुफ्त तालीम का नज़्म / निस्फ मुफ्त तालीम का नज़्म (Freeship/ Half Freeship):- हज़रत फातिमा तुज़ ज़हरा उर्दू गर्ल्स मिडिल स्कूल,,और जी0 एम0, जी0, ओ0, उर्दू हाई स्कूल जूनियर व सीनियर सेकेण्डरी स्कूल (Junior & Secondary School) की गैर यतीम बच्चियाँ जो अपना खर्च नहीं बर्दाशत कर सकती हैं उन के लिए मुफ्त या निस्फ मुफ्त तालीम का नज़्म है। ये मुफ्त तालीम का नज़्म पुरे तालीमी साल के लिए होता है अगर इनकी कार करदगी अखलाक ओ मुआशरत तशफ्फी बख्श नहीं पाया जाता है तो यह मुफ्त तालीम का नज्म (Freeship) मुस्तरद कर दिया जा सकता है। मुफ्त तालीम का नज़्म या निस्फ मुफ्त तालीम का नज़्म उन के सरपरस्त की आमदनी के मुताबिक फराहम की जाती हैै।

तालिबात का इमदादी फंड (Student’s Aid Fund):- यतीम खाना के स्कूल में बाहरी गैर यतीम तालिबात से एक छोटी सी रकम दाखिला के वक्त ली जाती है। इस फंड से यतीमखाना के स्कूल की जरूरत मंद बच्च्यिाें को जरूरत के तहत तालिबात के इमदादी फंड से कुछ रक़म गैर यतीम बच्च्यिों की तालीम के लिए बैतुलमाल से दी जाती है। यह रकम गरीब तालिबात की फीस मुफ्त तालीम निस्फ मुफ्त तालीम के लिए इस्तेमाल की जाती है। बैतुलमाल में मुअल्लिम व मुअल्लिमात तालिबात वगैरह ही हर जुमेरात को अतियात की शक्ल में पैसे देती हैं।

तालिबात की सोसायटी (Student’s Society):- तालिबात की एक सोसायटी है जिस का नाम जमियतुल तालिबात है। हर जुमेरात को सकाफती सांसकृतिक प्रोग्राम में तालिबात मुखतलिफ क़िस्म के मुकाबले ज़बानी व तहरीरी वगैरह का नज़्म करती हैं। तालिबात खुद अपना सदर-ए-जलसा व उहदेदारान का इंतखाब किया करती हैं। वह उर्दू, अंग्रेजी, हिन्दी, अरबी और फारसी के मुखतलिफ प्रोग्राम का नज़्म और तरबियत का फैसला अपने असातजा की निगरानी और रहनुमाई में करती हैं।

स्कूल युनिफार्म (School Uniform) :- सभी तालिबात (यतीम और गैर यतीम) को स्कूल के वक्त स्कूल युनिफार्म पहनना लाज़मी है बगै़र युनिफार्म के तालिबात को क्लास में दाखिल होने की इजाज़त नहीं दी जाती हैं।

लिबास और हिजाब (Dress & Hijab):- कथई Maroon) मैरून रंग का जमपर, सफेद शलवार,सफेद दुपट्टा और मौसम सरमा में सब्ज़ रंग का स्वेटर यहाँ का युनिफार्म है। बड़ी लड़कियाें के लिए गहरे सब्ज रंग का हिजाब और सफेद दुपट्टा (स्कार्फ ) लाज़मी है।

कफाला स्कीम (Kafala Scheme (Sponsorship):- हर साल बहुत सारी यतीम बच्चियाें को माली वसाएल की कमी की वजह से बगैर दाखिला लिए मायूस वापस लौटना पड़ता है। एक यतीम बच्ची के तालीम पर सालाना खर्च पच्चीस हज़ार रूपये (Rs.25,000/रू0) है।
बरादरान-ए-इस्लाम:
आप कम अज़ कम एक यतीम बच्ची का सालाना खर्च र्बदाशत कर के आप फराख़ दिलाना तआवुन कर सकते हैं। अगर आप उन पर तवज्जह नही देगें तो वह जाहिल नाख्वानदा रह जाँएगी यौम ए जज़ा, अल्लाह आपकी गिरफ्त करे गा।

  • जब तक कि मिल्लत का मालदार तबका कम अज कम एक यतीम बच्ची को तालीम याफता बनाने की जिम्मेदारी नहीं लेगा। तालीम फैलाने का ख्वाब कभी शर्मिदां-ए-ताबीर नही होगा।
  • एक लड़की को तालीम देना एक पूरे खानदान को तालीम देने के मतारिदफ है। ये मालदार लोगाें की जिम्मेदारी है कि वह मिल्लत की गरीब व मजबूर यतीम बच्च्यिाें पर खुसूसी तवज्जा दे।


यौम ए इनायत (Enayeth Day) (30 सितम्बर):- यौम-ए-इनायत हर साल 30 सितम्बर को मनाया जाता है और अदारह की बुनियाद का दिन 21 दिसम्बर 1986 है। इनायत खाँ बानी-ए-यतीम खाना इस्लामिया गया (चेरकी) ने ही मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया के क़याम का तखय्युल पेश किया था। वह शायद 1885 ई0 में इसी माह में पैदा हुए थे लेकिन यह भी मुस्तनद तारीख नहीं है। यह इनायत खान का यौम-ए-वफात भी है। चुँकि इसी दिन 30 सितम्बर 1970 ई0 को उनका इंतक़ाल हुआ था। इस दिन हम लोग उनके नाकाबिले फरामूश कारनामों को याद करते हैं। हम लोग उन्हें उनकी कोशिश और जद्दो जहद को जो उन्होंने लोगों की सख्त मुखालफताें के बावजूद यतीम और गैर यतीम लड़कों के लिए तालीमगाह क़ायम कर के दिखा दी थी। और लड़कियाें का यतीमखाना की फिक्र पेश की थी। इसलिए यौम ए इनायत और यौम ए तासीस के दिन उनके शानदार कारनामाें और तारीख को याद करके उनके मुहसिनाें को और उन्हें खराज ए अकीदत पेश करते हैं और उन सबके लिए दुआ करते हैं और अपने साल भर के कामों का जायज़ा लेकर सफर जारी रखने के लिए आगे का रास्ता तोय्यन करते हैं कि किन किन मुश्किलात का सामना करते हुए उनहोनें अपना सफर जारी रखा था और किस तरह अपनी मंजिल ए मकसूद तक पहुँचे थे।

दूसरी ग़ैर निसाबी सरगरमियाँ (Other Non- Educational Activities) :

  • जबान :- (Language) (क) अंग्रेजी (ख) हिन्दी (ग) उर्दू (घ) अरबी (ड) फारसी
  • सालाना खेल कूद
  • अवामी खताब (तकरीर)
  • सकाफती प्रोग्राम
  • रस्सी दौड़
  • झूला दौड़
  • जिस्मानी तरबियत (P.T.&Drill)
  • बैडमिंटन
  • रिंग बॉल
  • लड़कियों के लिए इस्लामी ऑडियो और विडियो टेप


आईन्दह के मंसूबे (Future Plan)

  1. जूडो और कराटे
  2. टेबिल टेनिस
  3. वाली बॉल और बास्केट बॉल
  4. दाखली खेलों के लिए कॉमन रूम (Indoor Games)
  5. इनायत म्यूजियम (अजाएब घर)
  6. नक़ाब (Veil) में रहकर साइकिल, स्कूटर और गाड़ी चलाने की तरबीयत (Training) वग़ैरह।

नोट : बकौले फारसी शाएर -पये इल्म चूँ शमा बायद गदाख्त (तलब ए इल्म में शमा की तरह पिघलना चाहिए)।


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