1. शोबा-ए-हिफ़्ज़-ओ-तजवीद( Qur’an Memorization) हिफ्ज कुरान-6 साल
हिफ़्ज़ कुरान,6 साल में मुकम्मल कराया जाता है उस वक़्त तक तालिबात हिफ़्ज़ के साथ-साथ मैट्रिक (Matric) भी पास कर जाती हैं।
2. हज़रत आएशा सिद्दीक़ा उर्दू नर्सरी स्कूल (Hazrat AISHA SIDDIQUA URDU NURSERY School)
दर्जा, नर्सरी (अतफाल), दर्जा, अतफाल अव्वल और दर्जा अतफाल दोम (Nursery K.G-I), & K.G.-II) (3) साल।
3. हज़रत फातिमा तुज़ ज़हरा उर्दू गर्ल्स मिडिल स्कूल
(Hazrat Fatima-Tuz-Zahra Urdu Girls’ Middle School)
दर्जा अव्वल ता पंजुम प्राईमरी 5 साल और मिडिल (Class VI to VIII) जूनियर सतह (Junior Level) (3) साल टोटल (8) साल।
4. जी0 एम0 जी0 ओ0 उर्दू हाई स्कूल (Gaya Muslim Girls’ Orphanage Urdu High School)
दर्जा नहुम ता दर्जा दहुम (Class IX,X) सीनियर सेकेण्डरी सतह (Senior Secondary Level) (2) साल बिहार स्कूल एक्जामीनेशन बोर्ड के निसाब (पाठयक्रम) के मुताबिक एक साइंसी तुजरबा गाह (Science Laboratory) साइंस लैबोरेटरी भी है।
5. हज़रत ख़दीज़ा तुल कुबरा वोकेशनल सेन्टर(Hazrat Khadija-Tul-Kubra Vocational Centre)
यह हमारी जिन्दगी का एक अहम हिस्सा है हमारे अच्छे और बुरे वक़्त का दोस्त है यह हमें घराें में और परदे में रह कर आमदनी में इज़ाफा करने में मदद करता है कटाई व सिलाई जरी वर्क्स, कढाई, कपड़ो की पेन्टींग, मेंहदी वगै़रह और होम साइंस (उमूरे ख़ानादारी) यहाँ सीखने के ख़ास कोर्स हैं।
6. इनायत लाईर्बेरी (Enayeth Library)
बानी ए-"यतीमखाना इस्लामिया गया" जिन्हों ने 1938 ई0 में "मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया" का तसव्वुर पेश किया था उन ही के नाम पर उन की यादगार में लाईर्बेरी का नाम रखा गया है। इस लाईर्बेरी में मुख़तलिफ क़िस्म के हफता वार और माहनामा मैग़जीन आते हैं। मशहूर पब्लिशिंग एजेन्सियों के साइंस, अरबी और इस्लामी नज़रियात की किताबें भी मैाजूद हैं। तालिबात यहाँ से अहम मैगज़ीन रिसाले, फिकह इस्लामी, साइंस, कम्प्यूटर और वोकेशनल मोज़ूआत पर किताबें हासिल करती हैं और मुतालआ करती हैं।
अल्लामा सैयद सुलेमान नदवी रह0 की याद में यह ट्रेनिंग सेन्टर कायम किया गया है। यह हिन्दूस्तान के बहुत बड़े मशहूर पाया के माया नाज आलिमे दीन व मशहूर इस्लामी स्कॉलर (Scholar) सवानेह निगार मोअर्रिख़ और (तारीखदाँ)भी थे। उन्हों ने बहुत सारी मायानाज किताबें तसनीफ की थीं मसलन ज़िस की शोहरत पूरी दूनिया में है,सीरत उन नबी, जिल्द अव्वल ता हफतुम जिस से अरबी कुतुब खाना खाली है। खुतबात ए मद्रास (सीरत पर तकरीरें)अरबों की जहाज रानी,,,तारीख अरजुल कुरान सवानेह अल्लामा शिबली नुमानी रह0 सीरत ए आएशा सिद्दीका रज॰ वगैरह कम्प्युटर की तालीम जारी है। तालीबात की ट्रेनिंग (तरबीयत) के लिए यतीमखाना में अच्छी तरह आरास्ता तीन कम्प्यूटर पर मुशतमिल एक कम्प्यूटर लैब है। दर्जा पंजुम (V) से दर्जा दहुम (X) तक तालिबात के लिए कम्प्युटर की तालीम लाज़मी है।
जाबिर बिन हय्यान की याद में यह लेबोरेट्री कायम की गई है यह एक मशहूर मुसलमान माहिर इल्म किमिया (Chemistry) के साइंसदाँ थे जहाँ इल्म हयात (Biology), इल्म हैवानातर् (ZooLogy), इल्म नबातात (Botany), इल्म तबियात
(Physics), इल्म किमिया (Chemistry), वगैरह का साइंस का प्रेक्टिकल बताने और कराने के लिए लैबोरेटरी (Laboratory) में साइंस का सामान मोजूद है जहाँ तालिबात को प्रेक्टिकल सिखाया जाता है।
8. इनायत बुक डिपो (Enayeth Book Depot)
बयादगार बानी-ए-यतीमखाना इस्लामिया गया यह एक किताब की छोटी सी दुकान है जो कोर्स की किताबें कॉपियाँ अरबी और इस्लामी किताबें सिर्फ यातीमखाना की तालिबात के दरमियान फ़रोख़्त करती है।
9. शोबा ए तालीम ए बालिग़ान (Department Of Adult Education)
यह 20 जून 2002 ई0 को कायम किया गया था। एक उस्ताद की नौजवान शादी शुदा औरत से इसकी बुनियाद पड़ी थी और हॉस्टल की तालिबा की तरह हॉस्टल में रह कर अपनी तालीम मुकम्मल की थी और मुखतलिंफ दूसरी नाख्वान्दा लड़कियाँ और औरतें इसमे तालीम हासिल करने के लिए दाखिला लेती हैं जहाँ कुरान नाज़रा उर्दू हिन्दी अंग्रेजी हिसाब और वोकेशनल तालीम देने की कोशिश की जाती है।
अल्लामा मुनाजिर हसन गिलानी की याद में यह रीडिंग रूम कायम किया गया है जो बहुत सारी किताबों के बुलंद पाया मुसन्निफ थे। वह एक बड़े आलिमे दीन, तारीखदाँ और सवानेह निगार थे मसलन सवानेह कासमी, तदवीने कुरान, तदवीने हदीस, हिन्दुस्तान में मुसलमानों का नेजाम-ए-तालीम-ओ-तरबीयत, अन्नबी उल खातिम,(सीरत उन नबी), तजकिरह शाह वली उल्लाह रह0 वगैरह (यतीम और गैर यतीम दोनो तरह की बच्चियों के लिए) : यहाँ मुतालआ के लिए अखबारात, उर्दू, अंग्रेजी, अरबी, हिन्दी, की किताबें हफ्तावार, पन्द्रह रोजा, माहाना, सेमाही, शशमाही, रसाले और मैगजीन मौजूद हैं। यह हॉल कॉमन रूम के तौर पर भी इस्तेमाल होता है।
11. कुतुब खाना (Book Bank )
(सिर्फ यतीम बच्च्यिों के लिए) अदारह में एक बुक बैंक भी है जहाँ से यतीम बच्चियों को कोर्स की किताबें मुफ्त मुहय्या कराई जाती हैं।
12. मकतबा इनायत (Maktaba Enayeth)
यह एक शोबा है जो किताबें और किताबचे वगैरह शाए किया करता है।
13. बच्चियों की अपनी दुकान(Children’s Own Shop)
यतीमखाना के अहाते (Campus) में "बच्चियों की अपनी दुकान" है जहाँ से बच्चियाँ मुखतलिफ किस्म के बिस्किट टॅाफियाँ, मिक्सचर, तेल, साबुन, शैम्पू, कलम,पेन्सिल, वगैरह खरीदा करती है।
14(A). बच्चियों का अपना बैंक (Children’s Own Bank)
यह बच्चियों का अपना बैंक है जहाँ बच्चियाँ सिर्फ अपने खर्च की रकम घर से ला कर जमा किया करें गी और फिर जरूरत के तहत बैंक चेक व पास बुक (Bank Pass Book) के जरिये रकम निकाल कर खर्च किया करेंगी। बैंक खुलने के औक़ात बाद नमाज़े असर ता क़बल नमाज मगरिब।
नोट बैंक अभी इबतदाई मरहले में है।
एनायत म्यूजियम में बानी-ए-यतीमखाना से मुताल्लिक उनके शुरू से आखिरी दौर तक की तरह तरह की मुखतलिफ जगहों से मुखतलिफ चीजें एनायत म्यूजियम के लिए हासिल की गई हैं और जमा की गई है। अभी म्यूजियम का इब्तदाई दौर है। पुराने रिर्काड में तलाश का सिलसिला जारी है। बानी-ए यतीमखाना के उर्दू और अंग्रेजी में लिखे हुए नादिर व नायाब चन्द खुतूत भी हैं। मसलन फायर ब्रिगेड कलकत्ता में नौकरी लगने से पहले 1916 ई0 का एक अंग्रेजी में लिखा हुआ पोस्ट कार्ड 1933 ई0 का नादिर व नायाब पोस्ट कार्ड जिस में यतीम खाना में ताला लग जाने का ज़िकर है। 1938 ई0 का "लड़कियों का यतीमखाना" कोलौना में खोलने का बानी के हाथ का लिखा हुआ खत और बहुत सारे यतीमखाना से मुताल्लिक 1917ई0 से 1956ई0 तक की नादिर व नायाब खुतूत-और-चीजेें हैं। सालाना रिपोर्ट जब से शाए होना और छपना शुरू हुई थी। 1936 ई0 ता 1956 ई0 तक की मौजूद हैं। दो नए यतीम खाना का जन्म पहला मुस्लिम लीग वालों का सनअती यतीमखाना शहर गया और दूसरा वहीदिया यतीमखाना शहर गया का पमफलट, 1942 ई0 में अल्लामा क़ौस हमजापूरी की लिखी हुई, सालाना जलसा और दूसरे मौके पर पढ़ी गई नजम मसलन मस्जिदे यतीमखाना के बुनियाद के वक्त की नजम,, नजम शिकवाह ए कौम" वगैरह 1948 ई0 से कबल का मस्जिदे यतीमखाना बनाने की तामीर का नक्शा, 1935 ई0 के उस्ताद की बहाली की दरख्वास्त (अंग्रेजी) और उस्ताद की बहाली की मंजूरी मिल जाने पर उस्ताद का जवाबी खत। यतीमखाना के मुखालिफीन का अमारत शरिया फुलवारी शरीफ, पटना से फतवा हासिल करने वाला खत और जवाब, मौलाना फसाहत हुसैन कासमी साहब का सदर यतीम खाना के नाम खत (पोस्ट कार्ड) मअ तंज़िया अशआर, कोर्ट में मुखालिफ का तहरीरी बयान, मुकदमा न0 34, 1942 ई0, मुद्दअी शेख मोहम्मद हनीफ सोलरा, मुद्दालय इनायत खाँ बानी ए यतीम खाना, 1935 ई0, सालाना जलसा यतीमखाना का अंग्रेजी में छपा दावतनामा, बानी ए यतीमखाना के रिटायरमेंट के वक्त की दी गई अलविदाई तकरीब (Farewell) फायर ब्रिगेड कलकत्ता का छपा हुआ अंग्रेजी में दावतनामा, यतीमखाना के मुखालफीन का 1953 ई0 का छपा हुआ बडा पमफलट, गोल्डन जूबली, पलेटिनम जुबली के वक्त का दावती कार्ड, पमफलट और उलेमा ए दीन, दानिशवरान ए मिल्लत और मुशाहिरीन का खत व आमद का जवाब, पैग़ामात, 75 सालह सोवेनियर, पहले और पुराने दौर के मअमरान ए यतीमखाना, असातजह, खिदमतगार और ओहदा दारान की तसवीरें, यतीमखाना की नयी और कदीम दौर की तासवीरें, मसलन 1945 ई0 का मस्जिद ए यतीमखाना की बुनियाद के वक्त की तामीर का नक्शा यतीमखाना की कच्ची और पुखता इमारतें, कुरान का कलमी नुस्खा म्यूजियम में उसकी फोटो कॉपी, यतीमखाना की कहानी बानी ए यतीमखाना की जबानी, का पहला और दूसरा एडिशन। यतीमखाना से मौलाना मौहम्मद अली जौहर एकाडमी के जरिया शाए किताबें (1) यतीमखाना की कहानी बानी-ए-यतीमखाना की ज़बानी (2) मुर्दा माँ बेटे की मुरासलत (3) मजमुआ शिकवह (हाली, अल्लामा इकबाल और अल्लामा कौस हमजापूरी मरहूम) (4) रोशन तहजीब शाह रशाद उस्मानी, यतीमखाना से मुताल्लिक बहुत सारी कल्मी नजमें मसलन अल्लामा नावक हमजापूरी वगरैह की भी है। मुस्लिम लड़कियों का यतीमख़ाना गया, वाक़ेअ कोलौना में बानी-ए-यतीमखाना की लकड़ी की बड़ी चौकी, आराम कुर्सी और कुर्सी वगैरह मौजूद हैं।
नोट (1) लकड़ी की चौकी, लकड़ी की कुर्सी, आराम कुर्सी (Easy Chair) वगैरह, यह सब सिर्फ मुस्लिम लड़कियों का यतीमखाना गया, कोलौना के म्यूजियम में मोजूद हैं (2) मक्तबा इनायत मुस्लिम लड़कियों का यतीमख़ाना गया से शाए की गई किताबें (1) मिल्ल्त में गुम हो जा (2) एक बूढे की सरगुजश्त (मुखतसर तारीख यतीमखाना) (3) तुर्की का एक अजीम मुजाहिद (ग़ाज़ी अनवर पाशा शहीद रह0) (4) जल्दी ही अशाअत होने वाली, छपने वाली, यतीमखाना की कहानी, बानी ए यतीमखाना की जबानी मअ अजाफा, बानी-ए-यतीमखाना के बाद कौन कौन थे ? और किया थे ? तीसरा एडिशन (5) सवानह इनायत और तारीख यतीमखाना , इनायत म्यूजियम में बाद के दौर की भी सालाना रिपोर्ट, खत और दूसरी दस्ताविजात भी रहें गी, बक़ौल अली मियाँ रह0, दीनी अदारह को देखना भी सवाब है। आप एक बार अदारह में ज़रूर तशरीफ़ लाए, और साथ साथ इनायत म्यूजियम की भी सैर कर लें।
15. शोबा ए तआम (खोर्द ओ नोश) (Mess)
यतीमखाना में तआम का नज़्म है। यतीम और गैर यतीम बच्चियाँ एक साथ यक्साँ तौर पर खाना खाती हैं। यतीम बच्चियों के खाने का बिल, यतीम खाना और हॉस्टल की बच्चियों के खाने का बिल उन के वालिदैन अदा करते हैं। यहाँ तीन वक्त के खाने का नज़्म है यानी सुबह का नाशता दोपहर का खाना और रात का खाना, दोपहर और रात के खाने में अमूमन,, चावल, दाल रोटी, सब्जी और गोश्त (हफता में दो दिन) दिया जाता है। सुबह में हल्का नाश्ता दिया जाता है।
16. दफ्तर मुस्लिम लडकियो का यतीमखाना गया
(Office of the Gaya Muslim Girls’ Orphanage)
मुहद्दिस इमाम बुखारी और इमाम मुस्लिम हॉल यानी इस हॉल में मुन्दरजा ज़ेल दफ्तर हैं मसलन दफ्तर, मुस्लिम लड़कियो का यतीमखाना गया, इनायत बुक डिपो,दफ्तर इस्तक़बालिया और दफ्तर मालूमात (पूछताछ घर) वगै़रह।
17. शोबा-ए-तामीर ओ तरक्की(Department of Construction and Extension)
यह एक शोबा है जा नई इमारतों की तामीर और पुरानी इमारतों की देख भाल, और मरम्मत का काम करता है।
याद रखें (Remember) अब तक यह यतीमों की झोंपड़ी था लेकिन अहले सरवत हजरात के तआवुन और अल्लाह के फज़ल-ओ-करम से , ये महल बनने की भरपूर जद्दो जहद कर रहा है। बक़ौल मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी रह0 झोंपड़े वाले ने भी महलों के ख्वाब देखने शरू कर दिये हैं। एक मशरिकी (पूरवी) नीम दीनी अदारे ने पर पुर्जे निकाला। मुश्त ख़ाक ने इरतका के ज़ोर से आँधी का मुक़ाम पा लिया।
18. शोबा-ए-मरम्म्त व देखभाल(Department of Maintenance And Repairing)
यह शोबा पुरानी इमारतों की मरम्मत, जेनरेटर, बिजली के तार, लाईन, वगैरह की देख भाल किया करता है और पानी की फराहमी, नाली की सफाई वगैरह का नज़्म कराया करता है।
19. शोबा-ए-नशर ओ अशाअत (Department of Information & Publicity)
यह एक शोबा है जो आम लोगों और अहले खैर हज़रात को अदारह में
होने वाले तरक्कियाती कामाे से बाख़बर करता रहता है।